How to open Gold Saving Account ? क्या है और फायेदे क्या है ?
अकाउंट की तर्ज पर जल्द ही लोग बैंकों और पोस्ट ऑफिसों में गोल्ड सेविंग अकाउंट खोल सकेंगे। गोल्ड सेक्टर में बड़े बदलाव के लिए वित्त मंत्रालय ने गोल्ड पॉलिसी का प्रस्ताव तैयार किया है और इस पर पीएमओ ने सहमति की मुहर भी लगा दी है। इस प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा।वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों का कहना है कि सरकार का मकसद इस योजना के तहत लोगों को सेविंग अकाउंट के जरिए गोल्ड उपलब्ध कराना है, ताकि गोल्ड का इंपोर्ट कम हो सके। इस योजना से मार्केट में गोल्ड का फ्लो बढ़ेगा तो निश्चित रूप से गोल्ड की डिमांड के अनुरूप मार्केट में ज्यादा गोल्ड उपलब्ध होगा। वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के अनुसार, इस योजना को सरकार शहरों के साथ गांवों में भी जोरदार तरीके से लॉन्च करना चाहती है, ताकि आम ग्रामीण भी इस योजना से लाभान्वित हो सकें। इसके लिए बैंकों के साथ पोस्ट आफिसों की चेन का भी भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि इस योजना का लाभ आम आदमी तक पहुंच सके।
कितना मिलेगा गोल्ड
सूत्रों के अनुसार, गोल्ड सेविंग अकाउंट में जमा पैसे के बराबर गोल्ड मिलेगा। हालांकि इसमें विकल्प भी मौजूदा रहेगा। लोग पैसा निकासी के वक्त गोल्ड या पैसा जो चाहे निकाल सकेंगे। पैसे की निकासी पर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगेगा। सॉवरेन बॉन्ड स्कीम पर बैंक जितना ब्याज देते हैं, उतना ही ब्याज गोल्ड सेविंग अकाउंट पर दिया जाएगा। यानी 2.5 फीसदी सालाना ब्याज। एक खास बात यह है कि पैसे की निकासी के समय जितना गोल्ड मिलेगा, उस पर गोल्ड के इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी लागू नहीं होगी। पीपी ज्वैलर्स के वॉइस प्रेसिडेंट पवन गुप्ता का कहना है कि इस स्कीम के जरिए आम लोगों को गोल्ड खरीदने के लिए सेविंग करने का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने जो पैसा लेने का विकल्प रखा है, वह भी तर्कसंगत है। माना किसी को जरूरत पड़ी तो गोल्ड लेने की बजाय कैश निकाल सकेगा।
गोल्ड का इंपोर्ट कम करने का लक्ष्य
वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों का कहना है कि सरकार चाहती है कि गोल्ड का इंपोर्ट कम हो। फिलहाल गोल्ड की डिमांड भी कम हुई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 की पहली तिमाही में भारत में गोल्ड की डिमांड 12 फीसदी कम हुई है। यह 131.2 टन से घटकर सिर्फ 115.6 टन रह गई है। पहले जहां 34,400 करोड़ रुपये के सोने की मांग थी वहीं जनवरी-मार्च के दौरान घटकर 31,800 करोड़ रुपये रह गई।
काउंसिल के मुताबिक, अगर डिमांड में इसी तरह की सुस्ती बनी रही तो कीमतों में कमी आ सकती है। इस दौरान जूलरी की डिमांड भी 12 फीसदी घटी है। इस साल की पहली तिमाही में जूलरी के लिए 87.7 टन सोने की मांग रही, जबकि पिछले साल 99.2 टन थी। इस दौरान गोल्ड इंपोर्ट 41 फीसदी घटा है। यह पिछले साल के 260 टन की तुलना में सिर्फ 153 टन रहा है। वित्त सचिव हंसमुख अधिया का कहना है कि हम इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के बीच खाई को कम करना चाहते हैं। व्यापार घाटा नियंत्रण में रहा तो राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में रहेगा। इसके लिए सरकार का प्रयास जारी रहेगा।
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